भेड़ीमुड़ा (ब) में ‘मौत के साए’ में शिक्षा! जर्जर स्कूल और आंगनबाड़ी भवन में मासूमों की जिंदगी खतरे में

भेड़ीमुड़ा (ब), लैलूंगा विकासखंड, के ग्राम पंचायत भेड़ीमुड़ा (ब) का प्राथमिक विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र आज शिक्षा की दुर्दशा का जीवंत उदाहरण बन चुके हैं। एक ओर सरकार स्कूल चलो अभियान चला रही है, दूसरी ओर यहां बच्चे जान हथेली पर रखकर रोज स्कूल आ रहे हैं। प्राथमिक शाला का भवन इतना जर्जर हो चुका है कि उसकी दीवारों में दरारें ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े होल बन चुके हैं। छतें टपक रही हैं, फर्श उखड़ चुके हैं, और अंदर बैठने की कोई सुरक्षित जगह नहीं बची है।

विद्यालय में कोई बैठने के लिए जगह नाहि है। बल्कि बगल में पृथक सेट में संचालित किया जा रहा है। जिसमें कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक के सभी बच्चों को एकसाथ बैठाकर पढ़ाया जा रहा है। बरसात के दिनों में पानी सीधे बच्चों के ऊपर टपकता है। बच्चों के बैठने के लिए बेंच नहीं, जमीन तक सूखी नहीं। जब शिक्षक खुद डरते हुए पढ़ा रहे हैं, तो सोचिए मासूम बच्चों पर क्या गुजरती होगी?

सबसे हैरानी की बात यह है कि यह विद्यालय पूरी तरह जर्जर है बगल में बने'पृथक सेट' में स्कूल को संचालित किया जा रहा है। लेकिन यह भवन भी अब जानलेवा साबित हो रहा है। भवन की हालत देखकर किसी का भी दिल दहल जाए — दीवारों में ऐसे-ऐसे छेद हैं, मानो कब गिर पड़े कहा नहीं जा सकता। स्थानीय लोग कहते हैं, "रोज डर बना रहता है कि कहीं दीवार ढह न जाए, लेकिन बच्चों को मजबूरी में वहां भेजना पड़ता है।"

Post a Comment

Previous Post Next Post